सोशल मीडिया के लेकर पाकिस्तान की संसद में विधेयक पास (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की संसद के ऊपरी सदन ने मंगलवार को एक विवादास्पद विधेयक पारित कर दिया है। इस विधेयक को लेकर आलोचकों का कहना है कि इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए बनाया गया है। इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण (संशोधन) विधेयक 2025 या पेका कानून को उद्योग और उत्पादन मंत्री राणा तनवीर हुसैन ने पेश किया। विधेयक सरकार को गलत सूचना फैलाने के लिए सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाने और उन्हें जेल भेजने के व्यापक अधिकार प्रदान करता है।
राष्ट्रपति करेंगे हस्ताक्षर
मंगलवार को सीनेट की ओर से मंजूरी दिए जाने से विधेयक के मार्ग में आखिरी बाधा भी दूर हो गई है। अब इसे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पास भेजा जाएगा, जिनके जल्द ही इस पर हस्ताक्षर कर देने की उम्मीद है। इस विधेयक के तहत, अधिकारी एक एजेंसी डिजिटल अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (डीआरपीए) बनाएंगे, जिसके पास सोशल मीडिया पर “गैरकानूनी और आपत्तिजनक” समझी जाने वाली सामग्री को तत्काल ब्लॉक करने का आदेश देने की शक्ति होगी।
गलत सूचना फैलाने पर मिलेगी सजा
न्यायाधीशों, सशस्त्र बलों, संसद या प्रांतीय विधानसभाओं की आलोचना करने वाली सामग्री को भी ब्लॉक किया जा सकेगा। जो लोग इसका पालन करने में विफल रहेंगे, उन्हें अस्थायी या स्थायी प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है। कानून में गलत सूचना फैलाना भी एक आपराधिक कृत्य माना गया है, जिसके लिए तीन साल की जेल और 20 लाख रुपये (7,150 अमेरिकी डॉलर) का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
इमरान खान की पार्टी ने किया विरोध
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रवक्ता जुल्फिकार बुखारी ने कहा कि उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (PTI) इस विधेयक को अदालत में चुनौती देगी। उन्होंने एक बयान में कहा, “फर्जी खबरों से निपटने के बहाने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के लिए संसद के दोनों सदनों से विधेयक पारित किया गया है और कोई भी लोकतंत्र-पसंद व्यक्ति इसका समर्थन नहीं कर सकता।” (एपी)
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