एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, जिस DECam ने इमेज को कैप्चर किया, वह चिली में स्थित विक्टर एम. ब्लैंको टेलीस्कोप पर लगा है। यह कैमरा डीप स्पेस की तस्वीरों को कैप्चर करता रहता है। बहरहाल, गैस और धूल की ऐसी संरचनाओं को कॉमेटरी ग्लोब्यूल (cometary globule) कहा जाता है।
कॉमेटरी ग्लोब्यूल को सबसे पहले साल 1976 में देखा गया था। हालांकि इन संरचनाओं का धूमकेतुओं से कोई कनेक्शन नहीं है। ये अंतरिक्ष में गैस और धूल के घने और सघन (dense) बादल होते हैं, जिनका आकार किसी लंबे, चमकने वाली पूंछ जैसे धूमकेतुओं सा होता है।
गैस और धूल के इन बादलों के कोर में नन्हे तारे होते हैं। किसी भी आकाशगंगा के अंदर जन्म लेने वाले तारों के डेवलपमेंट में कॉमेटरी ग्लोब्यूल अहम भूमिका निभाते हैं।
‘गॉड्स हैंड’ की जो लेटेस्ट इमेज सामने आई हैं, उन्हें हमारी ही आकाशगंगा में कैप्चर किया गया है। यह जगह पृथ्वी से 1300 प्रकाश वर्ष दूर ‘पुपिस’ तारामंडल (Puppi) में है। इसका मेन सिरा धूल से भरा हुआ है और घूमते हुए हाथ जैसा दिखता है। रिपोर्टों के अनुसार, मेन सिरे की लंबाई 1.5 प्रकाश वर्ष तक फैली है, जबकि लंबी पिछला सिरा 8 प्रकाश वर्ष तक फैला है। प्रकाशवर्ष को डिस्टेंस के रूप में आप ऐसे समझ सकते हैं कि एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश यानी लाइट एक साल में तय करता है। इसका सीधा मतलब है कि तस्वीर में जो आकृति नजर आ रही है, वह छोटी-मोटी नहीं, हमारी सोच से भी अरबों गुना बड़ी है।
ऐसा लगता है कि यह संरचना अब 100 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर ESO 257-19 (PGC 21338) नाम की एक सुदूर आकाशगंगा की ओर पहुंच रही है। जिस कैमरे ने आकृति को कैद किया, वह समुद्र तल से 7200 फीट की ऊंचाई पर लगे एक टेलीस्कोप में फिट है।
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2024-06-23 15:23:30
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