×

लैडिंग होने के बाद 20 मिनट में दोबारा उड़ रहे विमान, इतने कम समय में सुरक्षा जांच कैसे होगी

प्रत्येक पायलेट को हर छह महीने एमरजेंसी लैंडिंग की प्रैक्टिस कराई जाती है। इस वजह से पायलेट काे किसी भी परिस्थिति में विमान व यात्रियों को सुरक्षित करने का तरीका मालूम होता है। अहमदाबाद विमान हादसे में विमान टेकआफ करने के दौरान पायलेट को इतना समय भी नहीं मिला कि वो सुरक्षित लैंडिंग के लिए सोच सके। इस वजह यह बड़ा हादसा हुआ।

By Navodit Saktawat

Publish Date: Tue, 24 Jun 2025 05:54:31 PM (IST)

Updated Date: Tue, 24 Jun 2025 06:03:53 PM (IST)

लैडिंग होने के बाद 20 मिनट में दोबारा उड़ रहे विमान, इतने कम समय में सुरक्षा जांच कैसे होगी
पूर्व कैप्टन पवनदीप सिंह।

HighLights

  1. व्यवसायीकरण के विमान कंपनियां छोटी-छोटी खामियों को भी कर रही हैं नजरअंदाज।
  2. पूर्व कैप्टन पवनदीप सिंह ने नईदुनिया विमर्श में यात्री विमान सुरक्षा के मुद्दों पर रखी बात।
  3. कहां पर कौन सी तकनीकी दिक्कत कितनी बड़ी है ये एयरलाइन कंपनी ही समझ सकती है।

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। पिछले कुछ वर्षों में विमान सेवाओं का तेजी से व्यासायीकरण हुआ है। इसके साथ ही कई छोटे-छोटे सुरक्षा के मापदंडो को नजरअंदाज किया जा रहा है,इसके कारण इशू बढ़े है। किसी भी विमान के आने के बाद उसके ग्राउंड स्टाफ को 20 मिनट की जांच के बाद ही उसे फिर से उड़ान भरने के लिए भेज दिया जाता है। इतने कम समय के विमान की पूरी जांच कैसे संभव है। यह कहना है पूर्व कैप्टन पवनदीप सिंह का।

नईदुनिया के विमर्श कार्यक्रम में उन्होंने साेमवार को यात्री विमान सुरक्षा के मुद्दों पर बात रखी। उन्होंने बताया कि अक्सर विमान के लैंडिंग या टेकऑफ में देरी होने के कारण यात्री हंगामा कर देते है और उनकी परेशानी सुर्खियां बन जाती है और वीडियो वायरल हो जाते हैं।

अब ये तकनीकी दिक्कत कितनी बड़ी है ये एयरलाइन कंपनी ही समझ सकती है। यदि एसी में इशू है तो ये कोई बड़ा इशू नहीं होता। इस दिक्कत के साथ फ्लाय किया जा सकता है। विमान में बड़ी परेशानी को नजरअंदाज करने से ही हादसे होते है।

एयरक्राफ्ट के लेट होने पर पायलेट या स्टाफ को दिल्ली तलब कर सवाल-जवाब पूछे जाते है।फ्लाइट लेट होने पर कंपनियां यात्रियों को मुआवजा नहीं देना चाहती। ऐसी परिस्थितियों के कारण भी एयरलाइंस कंपनियां कई बार सुरक्षा संबंधित छोटी खामियों को भी नजरअंदाज कर रही है।

लैंडिंग व टेकऑफ के समय ही रहता है ‘थ्रस्ट’

उन्होंने बताया कि विमान में जो भी हादसे होते है तो लेंडिग या टेक आफ के समय पर ही होते है। टेक आफ करते समय विमान में सबसे ज्यादा लोड होता है। विमान में पैसेंजर होते हैं उनका लगेज होता है और फ्यूल भी पूरा भरा होता है। जब विमान टेकआफ करता है उस समय उसमें सबसे ज्यादा वजन होता है। यह यात्रियों के साथ विमान में रखे उनके सामान व ईंधन का होता है। इस स्थिति को थ्रस्ट कहा जाता है। विमान में दो जेट इंजन होते हैं। एक इंजन में करोड़ों घंटे चलने के बाद हो सकता है कि कोई दिक्कत आ जाए। अहमदाबाद वाले मामले में वीडियाे देखकर ये ही समझ आया कि एक इंजन फेल हो गया हो। इंजन फेल हो जाने पर फेल इंजन को पायलेट डेड कर देता है। इसमें मामले में हो सकता है कि पायलेट ने दूसरा वाला चालू इंजन को डेड कर दिया हो। ये बस एक मेरी थ्योरी है। मैं ये नहीं कह सकता हूं कि ऐसा ही हुआ होगा।

ब्लैक बॉक्स में दर्ज होती है काकपिट की जानकारी

कैप्टन पवनदीप ने बताया कि किसी भी विमान दुर्घटना के बाद ब्लैक बाक्स की जांच के बाद ही कारण स्पष्ट होता है। इसमें हादसे के समय काकपीट में पायलेट्स के बीच क्या बात हो रही थी इसकी पूरी रिकाडिंग होती है। इसके अलावा विमान के काकपिट के उपकरणों की सारी जानकारी भी होती है। यह एक तरह से विमान का मेमोरी कार्ड होता है। अहमदाबाद विमान हादसे का ब्लैक बाक्स टूट गया है। इस वजह से उसे अमेरिका में रिकवर कने के लिए भेजा है। इमरजेंसी के समय मेडे काल की जाती है। मेडे काॅल के समय पूरे विमान में साइलेंट होता है, क्योंकि मेडे काल को सुनना सबकी पहली प्राथमिकता होती है।

लाॅगशीट में दर्ज होती है विमान सुरक्षा की चेक लिस्ट

उन्होंने विमान की सुरक्षा जांच प्रक्रिया के बारे में बताया कि विमान कंपनी यात्रियों की संख्या उनके सामान के अलावा ईंधन भरा या नहीं सहित अन्य कई तकनीकी जांच कर एक लाॅगशीट तैयार करती है। यह विमान सुरक्षा की चेकलिस्ट होती है। जो पायलेट विमान से उड़ान लेकर है वो दूसरे पायलेट को विमान हेंड ओवर करने के पहले अंत में चेक करता है कि मैं जो विमान फ्लाय करके आया हूं तो उसमें कोई तकनीकी दिक्कत तो नहीं है। यदि विमान में कोई भी दिक्कत होती है तो पायलेट उसे लिखकर देता है।

पायलेट को आराम के लिए समय ही नहीं मिल रहा

उन्होंने ने बताया कि नियम यह है कि एक पायलेट को माह में 120 घंटे से ज्यादा विमान नहीं उड़ाना है। एक फ्लाइट से दूसरी फ्लाइट उड़ाने के बीच में आठ घंटे का अंतर होना चाहिए। पायलेट एक दिन के अंतराल पर भी उडान दी जाना चाहिए। एक सप्ताह में 35 घंटे से ज्यादा विमान नहीं उड़ाना है। हकीकत इससे अलग है। पायलेट को आराम करने के लिए दिन में कई बार सिर्फ छह ही घंटे मिलते है।

Source link
#लडग #हन #क #बद #मनट #म #दबर #उड #रह #वमन #इतन #कम #समय #म #सरकष #जच #कस #हग

Post Comment