अगर भविष्य में एआई, सौर तूफान की भविष्यवाणी कर पाया तो यह बड़ी कामयाबी होगी। मौजूदा वक्त में वैज्ञानिक जिन तकनीकों और पद्धतियों का इस्तेमाल करते हैं मसलन-सोलर इमेज और डेटा, उससे सौर तूफान का सटीक आकलन नहीं हो पाता है।
स्टडी में कहा गया है कि एडवांस होती तकनीक के बावजूद सोलर फ्लेयर का अनुमान लगाने और CME के पृथ्वी तक पहुंचने के पूर्वानुमान में अनश्चितता बनी हुई है। स्टडी कहती है कि एआई मॉडल, सौर इमेजेस और अन्य अंतरिक्ष संबंधित मौसमी पैरामीटर्स को बड़ी मात्रा में प्रोसेस करता है। यह हमारे सौर मंडल के बिहेवियर के छोटे बदलावों को भी नोट करता है। एआई, सूर्य से निकलने वाले CME की यात्रा के टाइम की भी सटीक भविष्यवाणी कर सकता है।
कोरोनल मास इजेक्शन (CME)
कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
सोलर फ्लेयर
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय करते हैं।
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2025-02-03 07:51:19
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