पिछले साल का दशहरा मैदान और रामबाग का रावण।
– फोटो : अमर उजाला, इंदौर
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दशहरा मैदान पर रावण दहन की परंपरा प्राचीनकाल से है। होलकर स्टेट के समय 30 फीट का रावण बनाया जाता था। समय के साथ अब रावण की ऊंचाई 111 फीट हो गई है। इस बार रावण जनता को देख मुस्कराएगा और हंसेगा।
एक महीने का समय लगता है रावण बनने में
दशहरा महोत्सव समिति द्वारा रावण बनाने में एक महीने का वक्त और 100 से 150 कारीगरों की मेहनत तो लगती ही है, साथ ही काफी सामान का इस्तेमाल भी होता है। इसके बाद शहर के सबसे ऊंचे 111 फीट के रावण के पुतले को तैयार किया जाता है। इस आकर्षक रावण को देखने के लिए शहर के लोग परिवार सहित आते हैं। दशहरा मैदान का रावण बनाने की शुरुआत अनंत चतुर्दशी के दो दिन पहले से हो जाती है। विधि-विधान से शस्त्र पूजन और कारीगरों के सम्मान के बाद रावण बनाने का काम शुरू किया गया। समिति संयोजक सत्यनारायण सलवाड़िया व पिंटू जोशी ने बताया कि 250 फीट की लंका का भी निर्माण किया जा रहा है। शहर के एक निजी स्कूल में रावण का ढांचा तैयार किया जाता है, फिर दशहरा मैदान ले जाया जाता है, जहां रावण को अंतिम रूप देकर मैदान में खड़ा किया जाता है। इसमें मशीन और कारीगरों की मदद ली जाती है।
परंपरा शुरू करने वाले सभी दिवंगत हो गए
समिति के अनुसार दशहरा मैदान पर बड़े रावण दहन की शुरुआत रामचंद्र सलवाड़िया, गंगाराम तिवारी, महेश जोशी, नंदलाल माटा, श्रीवल्लभ शर्मा, बशीर मंसूरी सहित अन्य लोगों ने की थी। यह सभी पदाधिकारी दिवंगत हो चुके हैं। पुराने समय में रामबाग से शोभायात्रा निकाली जाती थी। अब महाराणा प्रताप चौराहे से निकलती है।
रावण और लंका निर्माण में यह करते हैं सहयोग
वर्तमान समिति में सुरेश मिंडा, नारायणसिंह यादव, प्रहलाद शर्मा, किशोर गुप्ता, नीलेश पटेल, अरुण माहेश्वरी, विशाल चतुर्वेदी, राजाराम बौरासी, कैलाश मिश्रा, शंकरलाल चिंतामण, धरमसिंह सिसौदिया, प्रवीण हरगांवकर, दारु लाहोरिया है और यह परंपरा निभाने में सहयोग करते हैं।
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2024-10-04 03:15:06