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Indore News: गरीब कैदियों की जुर्माना राशि भर रही सरकार, जेल से छुड़वाने के लिए वकील भी करवा रही

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जेल में बंद कैदी का प्रतिकात्मक फोटो
– फोटो : अमर उजाला, इंदौर

विस्तार


केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों एक योजना लागू की, जिसे सपोर्ट टू पुअर प्रिजनर्स यानी गरीब कैदियों को मदद करना है, जिस पर मध्यप्रदेश सरकार ने सबसे बेहतर अमल किया और पिछले दिनों केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसकी प्रशंसा भी की। दरअसल मामूली जुर्माना राशि न भर पाने के कारण कई गरीब, बेसहारा, कम पढ़े लिखे कैदी सालों से जेल में बंद हैं। अब ऐसे कैदियों की जुर्माना राशि शासन भरेगा, ताकि वे केद से छूट सकें। अभी तक इंदौर सहित प्रदेश की जेलों में बंद 16 कैदियों की रिहाई इस योजना के तहत हो चुकी है, लेकिन इसमें बलात्कारी, हत्यारे, भ्रष्ट या अन्य गंभीर अपराधों में लिप्त कैदियों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

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देश की जेलों में लाखों कैदी बंद

देशभर की जेलों में लाखों की संख्या में ऐसे कैदी बंद हैं, जिनका अपराध भी मामूली है और वे लगभग अपनी सजा भी पूरी कर चुके हैं। मगर उनके पास ना तो जुर्माना राशि भरने के पैसे हैं और ना ही कोई वकील कर सकते। इनमें कई लावारिस, अनपढ़, गरीब से लेकर अन्य श्रेणी के कैदी शामिल हैं। इससे जेलों पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, क्योंकि अधिकांश जेलों में क्षमता से अधिक कैदी रखे हुए हैं। लिहाजा केन्द्र सरकार ने ऐसे कैदियों की रिहाई की योजना बनाई और उन्हें सरकारी वकील की मदद दिलवाने के साथ अगर 25- 50 हजार रुपए तक की जुर्माना राशि है तो उसे भरकर छोड़ने को भी कहा गया। सभी राज्य सरकारों को इस योजना पर अमल करना है। मगर इसमें मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने बाजी मारी और अभी तक 16 कैदियों की रिहाई करवा दी। इसमें एक कैदी इंदौर की सेंट्रल से रिहा हुआ, तो इसी तरह शाजापुर, धार, सतना, झाबुआ, भोपाल से भी एक-एक कैदी को रिहाई मिली, तो उज्जैन की सेंट्रल जेल से दो कैदी रिहा किए गए। वहीं सर्वाधिक 8 कैदी जबलपुर की सेंट्रल जेल से इस योजना के तहत रिहा किए। 

कितनी भी राशि दी जा सकती है कैदी के लिए

दरअसल, जेलों में सुधार कार्यक्रम का भी यह एक हिस्सा है और मध्यप्रदेश में इस योजना को अमल में लाने पर केन्द्रीय मंत्री शाह ने सराहना भी की और अन्य प्रदेशों को भी इससे सीख लेने को कहा। इसके लिए हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया गया है, तो प्रमुख सचिव जेल की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय निगरानी समिति गठित है। जिला स्तर पर 25 हजार रुपए तक के जुर्माने की मंजूरी के अधिकार हैं, तो राज्य स्तरीय समिति के लिए कोई सीमा तय नहीं है, कितनी भी राशि मंजूर कर कैदी की रिहाई करवाई जा सकती है।

 

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https://www.amarujala.com/madhya-pradesh/indore/government-is-paying-the-fines-of-poor-prisoners-and-giving-lawyers-indore-news-2024-10-04
2024-10-04 03:09:03