एपल के न्यूजरूम पर पोस्ट में बताया गया है, “पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल खतरों का दायरा और जटिलता बढ़ने के साथ कंपनी ने फ्रॉड वाली एक्टिविटीज पर रोक लगाने की कोशिशें तेज की हैं। प्रत्येक दिन कंपनी की टीमें ऐप स्टोर पर इस तरह की एक्टिविटीज की निगरानी और जांच करती हैं। इसके लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी और टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है।” कंपनी ने बताया कि पिछले वर्ष ऐप स्टोर पर लगभग 1.8 अरब डॉलर की फ्रॉड ट्रांजैक्शंस को रोका गया है। इसके अलावा कंपनी के प्राइवेसी, कंटेंट और सिक्योरिटी से जुड़े स्टैंडर्ड्स को पूरा नहीं करने की वजह से 17 लाख से ज्यादा ऐप के आवेदनों को अस्वीकार किया गया है।
इसके अलावा कंपनी ने लगभग 37.4 करोड़ डिवेलपर्स और कस्टमर्स के एकाउंट्स को टर्मिनेट किया है। फ्रॉड की आशंका की वजह से लगभग 15.2 करोड़ रेटिंग्स और रिव्यूज को भी हटाया गया है। एपल ने बताया कि उसकी लगभग 500 एंप्लॉयीज की रिव्यू टीम ऐप स्टोर पर पब्लिश करने से पहले प्रत्येक ऐप का मूल्यांकन करती है।
कंपनी ने भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने की तैयारी की है। एपल का लक्ष्य अगले तीन-चार वर्षों में आईफोन्स की कुल मैन्युफैक्चरिंग का 25 प्रतिशत देश में करने का टारगेट है। इसके लिए चाइनीज वेंडर्स से इनपुट्स की सोर्सिंग करने के बजाय लोकल वेंडर्स का नेटवर्क बनाया जा रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट में कंपनी की योजना के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि एपल की देश में मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा हिस्सा इसकी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर Foxconn और Tata Group की कंपनी Tata Electronics के पास होगा। कंपनी के लिए भारत एक महत्वपूर्ण मार्केट है। पिछले वर्ष के अंत तक एपल की आईफोन्स की कुल मैन्युफैक्चरिंग का 14 प्रतिशत भारत में था।
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