Chang’e 6 मिशन के चार मुख्य हिस्से थे। ये थे- लूनार लैंडर, वापस लौटने वाला कैप्सूल, एक ऑर्बिटर और लैंडर के साथ गया छोटा रॉकेट। चीन ने इस मून मिशन को 3 मई को लॉन्च किया था, जो 5 दिनों के बाद ही चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था।
1 जून को चांग’ई 6 मिशन के लैंडर ने चंद्रमा के विशाल दक्षिणी ध्रुव- ऐटकेन बेसिन (Aitken basin) के अपोलो क्रेटर में लैंड किया था। स्पेसडॉटकॉम के अनुसार, लैंडर ने स्कूप और ड्रिल का इस्तेमाल करके लगभग 4.4 पाउंड (2 किलोग्राम) सैंपल इकट्ठा किए। उस मटीरियल को पृथ्वी पर लौटने वाले कैप्सूल में डालकर चंद्रमा पर गए छोटे से रॉकेट की मदद से चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचा गया और फिर पृथ्वी पर लैंड कराया गया।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के अनुसार, चीनी कैप्सूल ने 21 जून के आसपास पृथ्वी की ओर बढ़ना शुरू कर दिया था। इनके सकुशल धरती पर पहुंचने के बाद चीन का यह मून मिशन सफलता के साथ पूरा हो गया है।
सैंपल तो सोवियत यूनियन और USA भी लाए हैं, फिर यह कैसे अलग?
Chang’e 6 मिशन ऐसा पहला मिशन नहीं है, जो चंद्रमा से सैंपल लेकर धरती पर आया हो। सोवियत यूनियन और यूएसए पहले यह काम कर चुके हैं। फिर चीन का मिशन कैसे अलग है? दरअसल, अमेरिका और सोवियत यूनियन ने चंद्रमा के जिस हिस्से से सैंपल जुटाए थे, वह हमेशा पृथ्वी की ओर फोकस्ड रहता है। पहली बार चांद के उस हिस्से से किसी देश ने सैंपल जुटाए हैं, जो पृथ्वी से कभी भी दिखाई नहीं देता।
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2024-06-25 07:30:21
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