हाल ही में एयरोस्पेस इंडस्ट्री को लगे कुछ झटकों की वजह से गगनयान मिशन की तैयारी को लेकर ISRO पूरी सतर्कता बरत रहा है। इस मिशन के लॉन्च होने पर अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स को भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। ISRO के विस्तृत ट्रेनिंग प्रोसीजर और बिना क्रू वाली चौथी फ्लाइट को जोड़ना भी इस मिशन को टालने के कारणों में शामिल है। गगनयान मिशन में एक या दो एस्ट्रोनॉट्स को धरती से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर लो अर्थ ऑर्बिट में ले जाया जाएगा।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के एस्ट्रोनॉट्स Sunita Williams और Butch Wilmore की इंटनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से वापसी को Boeing के Starliner स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी समस्या के कारण अगले वर्ष फरवरी तक टाला गया है। इस वर्ष जून मेंविलियम्स और उनके साथी एस्ट्रोनॉट विल्मोर केवल आठ दिन के मिशन पर ISS पर पहुंचे थे। हालांकि, स्टाइलाइनर में तकनीकी समस्या के कारण इनकी वापसी को टालना पड़ा है। इस मामले से ISRO ने भी सीख ली है। गगनयान मिशन की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए ISRO ने कई टेस्ट किए हैं। इनमें इमरजेंसी की स्थिति में निकलने का मैकेनिज्म और रिकवरी के सिस्टम का आकलन शामिल है। गगनयान मिशन के लिए क्रू की ट्रेनिंग देश के साथ ही विदेश में भी चल रही है। भारतीय वायु सेना के टेस्ट पायलट Shubhanshu Shukla इस मिशन के लिए ट्रेनिंग ले रहे एस्ट्रोनॉट्स में शामिल हैं।
इस वर्ष के अंत में गगनयान मिशन की तैयारी के हिस्से के तौर पर G1 फ्लाइट आयोजित की जा सकती है। इस फ्लाइट में ह्युमनॉइड रोबोट Vyomitra को भेजा जाएगा। इसमें बंगाल की खाड़ी में फ्लाइट की री-एंट्री, पैराशूट के इस्तेमाल और कंट्रोल्ड स्प्लैशडाउन की टेस्टिंग की जाएगी। G1 के बाद बिना क्रू वाली तीन और फ्लाइट्स से गगनयान मिशन की टेस्टिंग का दौर पूरा होगा।
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2024-11-06 14:15:32
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