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कनाडा मंदिर हमला केस- गिरफ्तारी के बाद छोड़ा आरोपी: खालिस्तान समर्थक की रिहाई से बढ़ा विवाद, हिंदुओं ने जताया रोष – Jalandhar News

कनाडा में हिंदु मंदिर पर हुए हमले के मामले में गिरफ्तार आरोपी को रिह कर दिया गया है।

कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर में किए गए उपद्रव के मामले में कनाडा की पील पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी खालिस्तान समर्थक इंद्रजीत गोसाल के रूप में हुई है। आरोपी को पील पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया।

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जिसके बाद उसे जमानत पर छोड़ दिया गया। इसे लेकर हिंदुओं में काफी रोष है और हिंदु इस बात का विरोध कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा- 21 डिवीजन आपराधिक जांच ब्यूरो और जांच दल (SIT) द्वारा ब्रैम्पटन मंदिर में हिंसक प्रदर्शन में शामिल एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।

अधिकारी बोले- शर्तों के साथ किया रिहा

गिरफ्तारी के बाद आरोपी गोसाल को रिहा कर दिया गया था। अधिकारियों ने कहा- उसे शर्तों के साथ रिहा किया गया है और उसे बाद में ब्रैम्पटन में ओंटारियो कोर्ट ऑफ जस्टिस में पेश होना है। 3 नवंबर 2024 को पील क्षेत्रीय पुलिस ने ब्रैम्पटन में गोर रोड पर एक मंदिर में प्रदर्शन के दौरान हुए विवाद पर कार्रवाई की।

जैसे-जैसे विरोधी पक्षों के बीच तनाव बढ़ता गया, प्रदर्शन शारीरिक और हमलावर होते गए। पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान हुई कई घटनाओं की जांच शुरू की, जिनमें से कई वीडियो में कैद हो गईं। जिसमें लोगों पर हमला करने के लिए झंडे और डंडों का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति भी शामिल हैं।

जिसमें ब्रैम्पटन के 35 वर्षीय इंद्रजीत गोसल की भी पहचान की गई थी। आरोपी को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की गई। 3 और 4 नवंबर की घटनाओं के दौरान आपराधिक घटनाओं की जांच करने के लिए समर्पित एक रणनीतिक जांच दल का गठन किया गया है।

मंदिर पर हमले के बाद मंदिर समर्थक सड़कों पर उतर आए थे।

मंदिर पर हमले के बाद मंदिर समर्थक सड़कों पर उतर आए थे।

कनाडा में पहले भी मंदिरों पर हो चुके हमले

कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में उच्चायोग ने हिंदू सभा मंदिर के बाहर कॉन्सुलर कैंप लगाया था। यह कैंप भारतीय नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगा था। इसमें जीवन प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के 40 साल पूरे होने को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे खालिस्तानी वहां पहुंचे और उन्होंने लोगों पर हमला कर दिया।

कनाडा में पिछले कुछ समय से हिंदू मंदिरों और समुदाय के लोगों को निशाना बनाए जाने से भारतीय समुदाय चिंतित है। पिछले कुछ सालों में ग्रेटर टोरंटो एरिया, ब्रिटिश कोलंबिया और कनाडा में बाकी जगहों पर हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया है।

PM मोदी ने उक्त हमले का किया था विरोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा में हिंदू मंदिर पर हुए इस हमले की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि हमें कनाडा सरकार से कार्रवाई की उम्मीद है। ऐसी घटनाएं हमें कमजोर नहीं कर सकती। पीएम मोदी ने लिखा था कि मैं कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे डिप्लोमेट्स को डराने के कायरतापूर्ण प्रयास भी उतने ही निंदनीय हैं। ऐसे हिंसक कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं कर सकते। हमें उम्मीद है कि कनाडा सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून के शासन को बनाए रखेगी।

पीएम मोदी ने हिंदु मंदिर पर हुए हमले की निंदा की थी।

पीएम मोदी ने हिंदु मंदिर पर हुए हमले की निंदा की थी।

कनाडाई पीएम ने भी घटना की निंदा की थी

इस बारे में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी निंदा की थी। जिसमें उन्होंने ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में हुई हिंसा को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हर कनाडाई को अपने धर्म का स्वतंत्र और सुरक्षित तरीके से पालन करने का अधिकार है। घटना के बाद से इलाके में तनाव है। भारी संख्या में पुलिस की तैनाती की गई है। पील रीजनल पुलिस चीफ निशान दुरईप्पा ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है।

खालिस्तानी का साथ देने पर कनाडा पुलिस ने अपने अधिकारी को सस्पेंड किया था।

खालिस्तानी का साथ देने पर कनाडा पुलिस ने अपने अधिकारी को सस्पेंड किया था।

भारत का आरोप- वोट बैंक के लिए भारत विरोधी राजनीति कर रहे PM ट्रूडो

भारत और कनाडा के बीच संबंधों में एक साल से भी ज्यादा समय से गिरावट देखी गई है। इसकी शुरुआत जून 2020 में खालिस्तानी समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद हुई। पिछले साल सितंबर में PM ट्रूडो ने संसद में आरोप लगाया कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसी का हाथ है।

इसके बाद ट्रूडो ने पिछले महीने 13 अक्टूबर निज्जर हत्याकांड में भारतीय राजनयिकों के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद भारत ने संजय वर्मा समेत अपने 6 राजनयिकों को वापस बुला लिया।

भारत का कहना है कि कनाडा सरकार के आरोप बेबुनियाद हैं। कनाडा ने भारत सरकार के साथ एक भी सबूत साझा नहीं किया है। वे बिना तथ्य के दावे कर रहे हैं। ट्रूडो सरकार राजनीतिक लाभ उठाने के लिए जानबूझकर भारत को बदनाम करने की कोशिश में जुटी है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि PM ट्रूडो की भारत से दुश्मनी लंबे समय से जारी है। उनके मंत्रिमंडल में ऐसे लोग शामिल हैं जो खुले तौर पर चरमपंथी संगठनों से जुड़े हुए हैं।

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