इंदौर के छत्रीपुरा में 1 नवंबर की दोपहर दो पक्षों में विवाद और पथराव के 10 दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं है। इलाके में पुलिस की आवाजाही अब भी ज्यादा है। लोग घरों में सहमे से हैं। बेहद कम लोग घरों से निकल रहे हैं। मामले में पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई का
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इस बीच लोगों का कहना है कि इलाके के लोग तो बरसों से मिलजुलकर रहते आए हैं। संप्रदाय से दूर कईयों के राखी के संबंध हैं। पड़ाेसियों की मामूली कहासुनी को बाहरी लोगों, नेताओं और मीडिया ने बड़ा रूप दे दिया।
घटना के 10 दिन बाद कैसा है छत्रीपुरा का माहौल, पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट… रविवार को दैनिक भास्कर की टीम छत्रीपुरा पहुंची। आमतौर पर संडे को यहां चहल-पहल होती है, लेकिन यहां भीतर जाते हुए एक पतली सी गली तक जब हम पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी। उसके पास 4-5 पुलिस जवान बैठे नजर आए। ये वही गली है जहां 1 नवंबर को हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद और पथराव हुआ था।
गली एकदम सुनसान है। ज्यादातर घरों के दरवाजे भीतर से बंद हैं। बच्चे घरों के अंदर हैं, जो खिड़कियों से झांक रहे हैं। गली के दूसरी ओर भी पुलिस के 6- 7 जवान पहरा दे रहे हैं। ये इलाका इंदौर शहर की पुरानी बसाहट का हिस्सा है। यहां बरसों से हिंदू और मुस्लिम आबादी साथ-साथ रहती आई है। जिन परिवारों में झगड़े की शुरुआत हुई, उन दोनों परिवारों के घर आमने-सामने हैं। दोनों घरों के दरमियान 15 फीट चौड़ी सड़क है।
1 नवंबर को छत्रीपुरा में विवाद के बाद इस तरह हुआ था उपद्रव।
आखिर क्या हुआ था उस रात कि विवाद इतना बढ़ गया ये सवाल जब हमने इलाके के कुछ लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया 31 अक्टूबर दीपावली की रात थी। करीब 12 बजे पटाखों की वजह से सलमान के घर की तिरपाल में आग लग गई थी। आस पास के लोगों ने तुरंत ही आग बुझा दी। जिससे कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ । इसी को लेकर दोनों पक्षों में मामूली कहासुनी हुई, जो रात में ही बातचीत के बाद खत्म भी हो गई।
पथराव तो अगले दिन हुआ, जिससे माहौल बिगड़ा अगले दिन 1 नवंबर को दोपहर में अचानक दोनों पक्षों में मारपीट और पत्थरबाजी हो गई। लड़ाई कैसे हुई इसको लेकर दोनों पक्षों की अलग-अलग दलील है। इस मामले में अभी तक दो एफआईआर हुई है। पुलिस ने कुछ लोगों की गिरफ्तार भी किया है। सारी गिरफ्तारी एक ही समुदाय के लोगों की हुई है, इसलिए पुलिस पर पक्षपात और राजनितिक दवाब के आरोप भी लग रहे हैं।
हमने दोनों पक्ष के लोगों से बात करके इलाके का माहौल समझने की कोशिश की। साथ ही ये भी पता करने की कोशिश की कि क्या वाकई इलाके के बाहरी लोगों ने आकर माहौल बिगाड़ा। मुस्लिम पक्ष के लोग इस बात पर एकमत दिखे कि माहौल बाहरी लोगों के हस्तक्षेप की वजह से बिगड़ा। वहीं हिंदू पक्ष के लोग जो दो दिन पहले तक मुस्लिम पक्ष पर गंभीर आरोप लगा रहे थे, वो भी अब बाहरी लोगों को ही विवाद का जिम्मेदार बता रहे हैं।
विवाद और पथराव के 10 दिन बाद भी गली में तनाव और सन्नाटा नजर आता है।
मामले में अब तक 14 लोगों की गिरफ्तारी हुई पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत पर मारपीट, बलवा, शांति भंग करना, उपद्रव जैसी धाराओं में केस दर्ज किया है। कुल तीन एफआईआर हैं। एक हिंदू पक्ष की ओर से एक मुस्लिम पक्ष की ओर से। तीसरी एफआईआर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हैं, जिसमें 60 से ज्यादा अज्ञात लोगों पर बलवा करने का आरोप है। फिलहाल जो 14 गिरफ्तारियां हुई हैं, उनमें सभी नाम मुस्लिम पक्ष के हैं। इसलिए मुस्लिम पक्ष पुलिस पर राजनीतिक दबाव में कार्रवाई का आरोप लगा रहा है।
दो परिवारों के बीच का मामूली झगड़ा इतना बढ़ा इलाके की मोहिनी कुंदेले ने दो दिन पहले मीडिया से चर्चा में कहा था कि सलमान और उसके परिवार के लोगों ने झगड़ा शुरू किया। रविवार को जब हम मोहिनी के पास पहुंचे ताे वो मीडिया से भी नाराज दिखीं। उन्होंने ऑन कैमरा बात करने से इनकार कर दिया, लेकिन ये कहा कि हमारे बच्चों का मामूली झगड़ा था।
सलमान की मां बोली-हमने सेवइयां भेजी, दिवाली पर मिठाई आई सलमान की मां यास्मीन ने कहा- पीढ़ियों से हमारा परिवार यहां रह रहा है। मेरे सास-ससुर और पड़ोस में रहने वाले हिंदू परिवारों के बीच अच्छे ताल्लुक थे। हम एक-दूसरे के घर आते-जाते थे। दीपावली की मिठाई हमारे घर आई थी। ईद में हम उनके घर मिठाइयां और सेवइयां भेजते हैं।
जिन हिंदू परिवार से राखी का रिश्ता है, उनकी शादियों में हमारे घर से ममेरा जाता है। वह भी हमारी शादियों में उसी अपनेपन से शामिल होते हैं। अभी मेरे पैर में कुछ महीने पहले फ्रैक्चर हुआ था तो सब देखने आए थे। हमारे मोहल्ले में आज तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। सब साथ में बाहर बरामदे पर बैठकर अक्सर बातें करते थे।
हम महिलाओं में कभी किसी छोटी-मोटी बात पर बहस भी हो जाती थी, लेकिन दो-चार दिनों में सब अपने आप ठीक हो जाता था। मर्दों की कभी कोई लड़ाई नहीं हुई। ये भी छोटी-मोटी बात थी। दीपावली की रात पटाखों से आग लगी। हम लोगों ने उसे तुरंत ही बुझा लिया। फिर सब बात सामान्य हो गई थी।
मेरे बेटे सलमान के बेटे की तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी, वो अपनी नानी के घर में था। खाना और कुछ सामान लेकर सलमान अपने बेटे को देखने जा रहा था। यास्मीन ने कहा कि हम ही फरियादी हैं और हमें ही मुजरिम बना दिया गया है। हमारे बच्चे जेल में हैं। हम औरतें बस घर में बची हैं।
बाहरी लड़कों ने आकर मामला-हिंदू मुस्लिम किया यहीं के एक दुकानदार ने नाम नहीं बताया और न ही कैमरे पर बात करने को तैयार हुए, लेकिन कहा कि यहां जो भी हुआ उसमें बड़े विवाद जैसी कोई बात थी ही नहीं। पड़ोसियों की छोटी-मोटी बात थी। सब कुछ हमेशा की तरह शांत भी हो गया था, लेकिन दीपावली के अगले दिन बाहरी लड़कों ने इस घटना को जबरन हिंदू-मुस्लिम कर दिया।
हमारा मोहल्ला शांत है। सब ठीक से रहते हैं। सबका एक-दूसरे के घरों में आना-जाना है, लेकिन पिछले 10 दिनों में सब कुछ बदल गया है।
मैं परिवार को जानता हूं, ऐसे उपद्रवी लोग नहीं हैं इलाके में रहने वाले देवा कहते हैं कि यहां हिंदू-मुस्लिम जैसा कोई विवाद पहले भी कभी नहीं हुआ। मामले में आरोपी बनाए गए एक शख्स अयान के परिवार को मैं पहले से जानता हूं। वह हमारे साथ दीपावली मनाता है। हम उसके त्योहार में शामिल होते हैं।
दिवाली पर मोहिनी आंटी की नातिन हमारे घर तैयार हुई सलमान की चाची नसरीन ने बताया कि दीपावली के दिन हमने मोहिनी आंटी को दीपावली की बधाई दी। उन्होंने पूछा कि हमारा घर कैसा सजा है। हमने कहा कि इस बार बहुत अच्छा सजा है। उनकी नातिन गुड़िया शाम को हमारे यहां से ही दीपवाली के लिए तैयार होकर गई थी। मेरी ननद ने उसे तैयार किया था। हमारा आपस में बहुत मेल-जोल था।
2 जनवरी को मेरी ननद की शादी है। गुड़िया और मेरी ननद बात करते थे कि हम शादी में किस गाने पर साथ में नाचेंगे। परिवारों में राखी के रिश्ते हैं। अचानक कुछ ही घंटे में यह सब कुछ बदल गया।
बचाने गई तो मेरे सिर पर तलवार मारी, सात टांके आए सलमान की चाची रसीदा बी ने बताया कि 1 नवंबर को दोपहर में शोरगुल सुना तो मैंने बाहर देखा। सलमान को 40-50 लड़के मार रहे थे। भीड़ सलमान की मां यास्मीन को भी मार रही थी। मैं बचाने के लिए दौड़ी तो उन लोगों ने मुझे भी धक्का दिया।
इलाके के लोग बोले- नेताओं के बयान से मामला बिगड़ा इंदौर सीएम डॉ. मोहन यादव के प्रभार वाला जिला है। दूसरी ओर यहां से नगरीय विकास एवं आवास संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी हैं। ऐसे में भाजपा की ओर से कुछ बयानबाजी हुई। कांग्रेस ने भी इंदौर के स्थानीय नेताओं पर सीएम के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया। इन सब बातों से छत्रीपुरा के लोग आहत हैं। उनका कहना है कि नेताओं के बयान से मामला और बिगड़ा। बाहरी लोगों ने उपद्रव किया और मीडिया ने मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। यहां के लोग अब मीडिया से भी ज्यादा बात नहीं करना चाहते। फिर भी भास्कर से उन्होंने अपना दर्द साझा किया और पूरी घटना विस्तार से बताई।
अब पूरी तरह शांति, दोनों परिवारों को अफसोस है डीसीपी ऋषिकेश मीणा ने कहा कि क्षेत्र में अब पूरी तरह से शांति है। हमने वहां सीसीटीवी कैमरे, लाइट और सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की है। दोनों परिवार आमने-सामने ही रहते हैं।
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