सैटेलाइट लॉन्च करने को लेकर इसरो का एक सफल इतिहास और तजुर्बा है। इसरो ने कई सैटेलाइट अंतरिक्ष में पहुंचाए हैं और दूसरे देशों को सैटेलाइट्स को भी लॉन्च किया है। इसरो को कम बजट में सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए जाना जाता है। बावजूद इसके, GSAT-N2 कम्युनिकेशंस सैटेलाइट को अमेरिका से लॉन्च किया गया।
दरअसल, GSAT-N2 सैटेलाइट का वजन 10360 पाउंड यानी करीब 4700 किलोग्राम है। इसे अंतरिक्ष में ऐसी कक्षा में पहुंचाया गया है, जो हमारी पृथ्वी से 22,236 मील (35,786 किलोमीटर) ऊपर स्थित है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी भारतीय रॉकेट इतने भारी पेलोड को इतनी दूर तक नहीं ले जा सकता, इसलिए इसरो ने फाल्कन-9 रॉकेट का चुनाव किया, जो स्पेसएक्स का पॉपुलर रॉकेट है और कई मिशनों को उनकी मंजिल तक पहुंचा चुका है।
इससे पहले भी इसरो ने अपने भारी सैटेलाइट्स को विदेशों से लॉन्च करवाया है। आमतौर पर यूरोपीय कंपनी एरियनस्पेस ये लॉन्च करती थी, लेकिन पहली बार फाल्कन-9 रॉकेट को चुना गया है। जैसाकि हर बार होता है, स्पेसएक्स का फाल्कन-9 रॉकेट का फर्स्ट स्टेज बूस्टर लिफ्ट ऑफ के ठीक 8.5 मिनट बाद पृथ्वी पर लौट आया। इस बूस्टर का यह 19वां मिशन था।
क्या काम करेगा GSAT-N2
रिपोर्ट्स के अनुसार, GSAT-N2 जब काम शुरू कर देगा, तो इसकी मदद से दूरदराज के इलाकों तक इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाई जा सकेगी। फ्लाइट्स में भी लोगों को इंटरनेट सेवाएं मिल पाएंगी।
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2024-11-19 08:32:49
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