कोलंबो9 मिनट पहले
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श्रीलंका ने इस साल अब तक 18 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया है। फाइल फोटो
श्रीलंका की नेवी ने रविवार को उसके जलक्षेत्र में मछली पकड़ने के आरोप में 8 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया है। साथ ही मछली पकड़ने वाली 2 नौकाओं को भी जब्त कर लिया। श्रीलंका सरकार की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि श्रीलंका की नौसेना ने शनिवार रात को मन्रार के उत्तर में विशेष अभियान चला कर इन लोगों को गिरफ्तार किया है।
श्रीलंका की नौसेना ने कहा कि 11 जनवरी की रात को भारतीय मछुआरों के एक ग्रुप को अवैध तरीके से लंकाई जलक्षेत्र में मछली पकड़ते देखा गया। इसके बाद नेवी ने फास्ट अटैक क्राफ्ट और इनशोर पैट्रोल क्राफ्ट के जरिए इन लोगों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था।
भारतीय मछुआरों को आगे की कार्रवाई के लिए हाई अथॉरिटी को सौंप दिया गया है। इस साल अब तक 18 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि 3 नौकाओं को जब्त किया गया है।
कैसे पकड़े जाते हैं मछुआरे
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2024 में श्रीलंका ने रिकॉर्ड 535 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया था, जो 2023 तुलना में लगभग दोगुना है। 29 नवंबर 2024 तक, 141 भारतीय मछुआरे श्रीलंका की जेलों में बंद थे, और 198 ट्रॉलर जब्त किए गए थे।
भारतीय हिस्से में मछलियों की संख्या लगातार कम हो रही हैं। ऐसे में फिशिंग के लिए मछुआरे श्रीलंका के आइलैंड (खासकर कच्चाथीवू और मन्नार की खाड़ी) की तरफ जाते हैं। हालांकि वहां तक जाने के रास्ते में इंटरनेशनल समुद्री सीमा पड़ती है, जिसे भारतीय मछुआरों को लांघना पड़ता है। इस सीमा को पार करते ही श्रीलंकन नेवी भारतीय मछुआरों को अरेस्ट कर लेती है।
भारतीय इलाकों में क्यों घट रही मछलियां
अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण और दशकों से मशीनी ट्रॉलरों के बेतहाशा इस्तेमाल की वजह से भारतीय क्षेत्र में मछलियों की संख्या में कमी आ रही है। मछली की तलाश में समुद्र तल को खुरचने वाले ट्रॉलर मूंगा चट्टानों समेत समुद्र तल में मौजूद मछलियों के आवास को नष्ट कर देते हैं। इससे उनके फर्टिलाइजेशन में दिक्कत आती है।
पिछले साल तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले मछुआरों के एक संगठन के अध्यक्ष पी.जेसुराजा ने बताया था कि मछुआरो यह तरह से जानते हैं कि बॉर्डर पार कर मछली पकड़ने पर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है या उनकी जान जा सकती है, इसके बाद भी वो सीमा पार करते हैं। अगर मछुआरे बिना मछली पकड़े वापस लौटते हैं तो उनका गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा।
मशीनों के इस्तेमाल की वजह से भारतीय क्षेत्र में मछलियों की संख्या तेजी से घट रही है।
ट्रॉलर के इस्तेमाल से नष्ट हो रहे कोरल रीफ
1950 के दशक में भारत ने मछली पकड़ने के लिए ट्रॉलर के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि भारतीय मछुआरों की आय में बढ़त तो हुई, लेकिन इससे यहां मौजूद कोरल रीफ बड़े पैमाने पर नष्ट हो गई। इससे मछलियों के जेनेटिक और प्रजाति विविधता में गिरावट आ -गई।
बारिश के बदलते पैटर्न और बढ़ते तापमान की वजह से समुद्र में फाइटोप्लांकटन (एक तरह का शैवाल) तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे छोटी मछलियां को सांस लेने में दिक्कत होती है और वो जल्द मर जाती है। इसके अलावा प्लास्टिक प्रदूषण भी मछुआरों के लिए दिक्कत का सबब बनते हैं।
दूसरी तरफ श्रीलंका का इलाका मछलियों के मामले में अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध है। श्रीलंकाई मछुआरों को डर है कि उनके जलक्षेत्र में भारतीय ट्रॉलरों के आने से मछलियों की तादाद में गिरावट आएगी।
भारत में ट्रॉलरों के इस्तेमाल से मछुआरों की आय में बढ़ोतरी तो हुई लेकिन कोरल रीफ बढ़े पैमाने में नष्ट हो गई।
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