14 मिनट पहलेलेखक: रौनक केसवानी
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कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी 17 जनवरी को रिलीज होगी। इस फिल्म में श्रेयस तलपड़े भी हैं, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका में नजर आएंगे। ऐसे में श्रेयस तलपड़े ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि अटल जी का किरदार निभाना उनके लिए बहुत सम्मान की बात है।
आप फिल्म इमरजेंसी से कैसे जुड़े?
कंगना रनोट ने सबसे पहले मुझमें अटल जी का अक्स देखा और मुझसे संपर्क किया। फिर मैंने पूरी कहानी सुनी, स्क्रिप्ट पढ़ी और तैयार हो गया। अटल जी का किरदार निभाना मेरे लिए सम्मान की बात रही, इसलिए न कहने का सवाल ही नहीं था।
अटल जी का किरदार निभाने के लिए आपने किस तरह की तैयारियां कीं?
हम अटल जी को 90 के दशक से जानते हैं। खासकर 91 और 92 के आस-पास। उसके बाद उन्हें और अच्छे से जाना। लेकिन इससे पहले के उनके जीवन के बारे में कम लोगों को मालूम है। यह कहानी 70 के दशक, खासकर 75 के इमरजेंसी के समय की है, तो उस समय अटल जी कैसे थे? सबसे पहले मैंने इसके बारे में जानकारी ली और थोड़ी बहुत पढ़ाई की। इस दौरान कंगना ने भी मेरी काफी मदद की। मेरे ख्याल से दो बातें महत्वपूर्ण हैं। कंगना का रिसर्च और होमवर्क बहुत अच्छा था। वह हर छोटी-सी जानकारी को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट थी। केवल अटल जी के किरदार को लेकर नहीं, बल्कि हर किरदार को लेकर
कंगना रनोट के निर्देशन में आपको कौन सी खास बात लगी?
जब डायरेक्टर पूरी तैयारी के साथ आता है, तो एक्टर को भी काम करने में और भी ज्यादा मजा आता है। यही कंगना की सबसे बड़ी ताकत है। वह पूरी तरह से तैयार थीं, खासकर फिल्म के स्केल और इस तरह की कहानी के लिए। वह न सिर्फ इसे प्रोड्यूस कर रही थीं, बल्कि एक्टिंग भी कर रही थीं। उनकी इस तैयारी को देखकर मैं हैरान था और मुझे ऐसा महसूस हुआ कि उन्होंने एक ऐसी फिल्म बनाई है, जो इंटरनेशनल लेवल की है। जब आप इसे किसी बड़ी फिल्म से तुलना करेंगे, तो आपको एहसास होगा कि यह फिल्म सच में इंटरनेशनल है।
इमरजेंसी की शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
शूटिंग का अनुभव बहुत अच्छा रहा। जैसे कि अक्सर होता है कि हम पहले तैयारी करके सेट पर जाते हैं और फिर डायलॉग्स परफॉर्म करने की कोशिश करते हैं। लेकिन कंगना का तरीका थोड़ा अलग था। वह एक्टर के नजदीक जाकर उन्हें शांति से समझाती थीं कि क्या करना है और यह तरीका बहुत खास था। कभी-कभी डायरेक्टर्स माइक पर बोलते हैं। लेकिन कंगना बहुत शांत तरीके से समझाती थीं। जब हम रिहर्सल कर रहे थे और डायलॉग्स की रिहर्सल हो रही थी तो कंगना ध्यान से देखती थीं और अगर मैंने कुछ ज्यादा किया तो वह कहती थीं-‘जो आपने रिहर्सल में किया था, वही अच्छा लग रहा था।’ मेरे ख्याल से ऐसे डायरेक्टर की जरूरत होती है जो छोटी-छोटी बातों को भी नोटिस करे।
अपनी जर्नी को किस तरह से देखते हैं?
मेरी जर्नी बहुत मजेदार रही है। जब मैंने शुरुआत की थी तो मेरी फैमिली का इंडस्ट्री से कोई ताल्लुक नहीं था। मैंने थिएटर से शुरुआत की थी लेकिन कभी नहीं सोचा था कि फिल्मों में काम करूंगा। खासकर लीड रोल में। पहले मराठी फिल्म में छोटे-छोटे रोल मिले, फिर लीड रोल्स मिलने लगे और फिर हिंदी फिल्मों में काम करना शुरू किया। यह सपने जैसा था। इंडस्ट्री के बड़े नामों के साथ काम करना और कुछ हिट फिल्मों का हिस्सा बनना।
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2025-01-17 02:30:00
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