डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में पदस्थ रहते हुए जिन्होंने विवि की बेहतरी के लिए काम किया, अपने अधीनस्थ व सहकर्मियों की मदद के लिए हर समय खड़े रहे, उनके निधन के बाद विवि प्रशासन उन्हीं के आश्रितों से बेरुखी बनाए हुए है। यह बेरुखी एक दो साल नहीं बल्कि
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यही वजह है कि विवि में वर्तमान में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है। इनमें 2009 से लेकर अब तक के प्रकरण शामिल हैं। प्रोफेसर से लेकर पियून तक के आश्रितों के मामले लंबित हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है सेवानिवृत्त या दिवंगत होने के बाद विवि के अधिकारी और अन्य लोग ही अपने सहकर्मियों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।
लंबित प्रकरणों की संख्या आश्रितों द्वारा ही अपने स्तर पर जुटाई गई जानकारी के आधार पर 80 है। यह कम या ज्यादा भी हो सकती है। विश्वविद्यालय में 2009 से लंबित अनुकंपा नियुक्ति को लेकर सोमवार को हितग्राहियों ने कुलपति एवं प्रभारी कुलसचिव के नाम आवेदन दिया।
आवेदक बोले- परिवार चलाना मुश्किल, जल्द हो नियुक्ति : आश्रितों का कहना है कि विश्वविद्यालय में पदस्थ कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति और मृत्यु होने के कारण पद रिक्त हैं। 2009 से अब तक अनुकंपा नियुक्तियां नहीं हुई हैं। जिससे वर्तमान में 80 नियुक्तियां लंबित होने से पद रिक्त हैं। कई लोग ऐसे हैं, जो अनुकंपा नियुक्ति के इंतजार में ओवरएज तक हो गए। पात्र हितग्राहियों ने कुलपति एवं कुलसचिव के नाम आवेदन देकर रिक्त पदों पर समायोजित करने की मांग की है। आवेदन देने वालों में दीपेश रैकवार, आकाश यादव, शैलेंद्र आदिवासी, सतेन्द्र कुमार सिंह, विनय रैकवार, पंकज प्रजापति, रोबिन एवं सौरभ सोनी आदि शामिल थे।
मार्च में बुलाई थीं दावा-आपत्तियां, फिर भूल गए
अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर आश्रितों ने जब अपनी आवाज लगातार उठाई तो मार्च माह में विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनुकंपा नियुक्ति की 100 प्वाइंट स्केल मेरिट सूची जारी की। इसमें दावा-आपत्ति के लिए साक्ष्यों, दस्तावेजों के साथ 11 मार्च 2024 तक आवेदन स्थापना शाखा में जमा करने को कहा था। साथ ही कहा गया था कि ऐसा न होने की स्थिति में अनंतिम जानकारी को ही अंतिम जानकारी मानते हुए कार्यवाही की जाएगी। हालांकि विश्वविद्यालय ने इसके बाद भी अब तक किसी को भी अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी है।
प्रक्रिया लगभग पूर्ण, इस सप्ताह होगा निराकरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी प्रक्रिया लगभग पूर्ण कर ली गई है। इस सप्ताह के अंत तक शेष औपचारिकताएं पूरी कर प्रकरण निस्तारित कर दिया जाएगा। -डॉ. विवेक जायसवाल, मीडिया अधिकारी, सागर विवि
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