आईटीसी का महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम अब तक 30,000 से अधिक महिलाओं के जीवन को बेहतर बना चुका है, जो पहले अत्यधिक गरीबी में जीवनयापन कर रही थीं। यह कार्यक्रम राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और असम के 8 राज्यों में सक्रिय है।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Thu, 06 Mar 2025 06:39:20 PM (IST)
Updated Date: Thu, 06 Mar 2025 06:39:20 PM (IST)
जहाँ दुनिया महिलाओं को परिवर्तनकर्ता के रूप में पहचान रही है, वहीँ आईटीसी लंबे समय से लैंगिक समानता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है।
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर जोर दे रहा है। इस दिशा में आईटीसी लगातार प्रयासरत है, और महिलाओं को बदलाव के माध्यम के रूप में मान्यता देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, आईटीसी अपने #HerStory कार्यक्रम के माध्यम से, जो पूरे देश के साथ-साथ जयपुर में भी संचालित है, सामाजिक-आर्थिक प्रगति में नारी शक्ति की भूमिका को सशक्त बनाने और अपनी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शा रहा है।
प्रयोगशालाओं से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक, फैक्ट्री के कार्यस्थलों से लेकर कॉर्पोरेट बोर्डरूम तक, आईटीसी का #HerStory अभियान उन महिलाओं की आवाज़ को बुलंद करता है, जिन्होंने अपने धैर्य, कौशल और नेतृत्व के माध्यम से बाधाओं को तोड़कर उद्योगों को नया आकार दिया है।
कार्यस्थलों और उससे आगे समावेशिता को बढ़ावा देना
आईटीसी ने केवल शब्दों के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण का समर्थन नहीं किया, बल्कि इसे क्रियान्वित करके एक मिसाल कायम की है।
महिला कार्यबल को प्रोत्साहित करते हुए, मैसूरु, मेडक और पुदुकोट्टई में आईटीसी की निर्माण इकाइयों ने फैक्ट्री कार्यस्थलों में महिलाओं को शामिल करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
पुदुकोट्टई इकाई, जिसमें 67% महिला कार्यबल है,खोरधा में 100% महिलाओं द्वारा संचालित इकाई, इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे आईटीसी औद्योगिक क्षेत्र में लैंगिक विविधता की नई परिभाषा गढ़ रहा है।
कृषि और ग्रामीण उद्यम में महिलाओं को सशक्त बनाना
भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली कृषि में पारंपरिक रूप से महिलाओं को निर्णय-निर्माता की बजाय सहयोगी भूमिका में देखा गया है। हालाँकि, भारतीय कृषि क्षेत्र में लगभग 75% महिलाएँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देती हैं, फिर भी उनके पास भूमि स्वामित्व और निर्णय लेने की सीमित पहुंच होती है। आईटीसी इस स्थिति को चुनौती दे रहा है और महिला किसानों का निरंतर समर्थन कर रहा है।
आईटीसीएमएआर पहल के तहत, 1,000 से अधिक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) स्थापित किए गए हैं, जिनमें प्रत्येक एफपीओ के बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक शामिल होती है।
इसके अलावा, 25 महिला एफपीओ का गठन किया गया है, जिससे 7,500 से अधिक महिला किसानों को सशक्त बनाया गया है और उन्हें टिकाऊ कृषि व्यवसाय संचालित करने में सक्षम बनाया गया है।
झालावाड़, राजस्थान की श्याम कंवर इसका एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं। वह एक विधवा और तीन बच्चों की माँ हैं, जिन्होंने अपने जीवन को बदलने का संकल्प लिया। पति की अचानक मृत्यु के बाद उन्होंने दस वर्षों तक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम किया, लेकिन आईटीसी द्वारा संचालित महिला किसान फील्ड स्कूल से जुड़ने के बाद उनका जीवन बदल गया। श्याम कंवर कहती हैं, “मैंने उन्नत कृषि तकनीकों के बारे में सीखा, जिससे मेरी आय में वृद्धि हुई और मैं बचत करने में सक्षम हुई। मैंने एक छोटी किराना दुकान शुरू की, अपनी 1.2 एकड़ भूमि पर फसल उगानी शुरू की और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी ) की सहायता से एक आटा चक्की, डीप फ्रीजर खरीदा और दो भैंसों का भी पालन-पोषण शुरू किया।”
उद्यमशीलता के माध्यम से वित्तीय स्वतंत्रता
आईटीसी के लैंगिक समावेशन के दृष्टिकोण में आर्थिक सशक्तिकरण एक प्रमुख स्तंभ है। महिला आर्थिक सशक्तिकरण कार्यक्रम ने अब तक 1,92,000 से अधिक महिलाओं को लाभान्वित किया है, जिनमें से कई पहले वित्तीय अस्थिरता का सामना कर रही थीं।
नेतृत्व और समावेशी विकास को बढ़ावा देना
आईटीसी में समावेशिता केवल रोजगार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नेतृत्व को भी प्रोत्साहित करता है। विविधता-केंद्रित भर्ती नीति यह सुनिश्चित करती है कि लगभग 50% प्रबंधन प्रशिक्षु और इंटर्न महिलाएं हों, जिससे वे संगठन में नेतृत्व की भूमिकाएं निभाने के लिए तैयार हो सकें।
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