आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दुरुपयोग से सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक तस्वीरें वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों को हटाने के लिए तकनीकी और कानूनी उपाय मौजूद हैं, जैसे टेक डाउन और स्टॉप एनसीआईआई की मदद से शिकायत करना और आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई।
By Anurag Mishra
Publish Date: Mon, 03 Mar 2025 07:46:06 PM (IST)
Updated Date: Tue, 04 Mar 2025 12:17:57 AM (IST)
HighLights
- डीपफेक और छेड़छाड़ से बढ़ी साइबर ठगी।
- गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर गुप्त शिकायत
- आईटी एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई संभव।
इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। आज के डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने औद्योगिक और शैक्षिक क्षेत्र में कार्यों को आसान किया है, लेकिन इसी तकनीक का दुरुपयोग भी बढ़ रहा है। विशेष रूप से डीपफेक टेक्नोलॉजी के जरिए आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बनाकर ठगी की घटनाएं बढ़ी हैं।
सोशल मीडिया पर ऐसे फोटो-वीडियो की खबरें आए दिन सुनने को मिलती हैं, जिससे कई लोगों की निजी जिंदगी में गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है। इस बढ़ते साइबर फ्रॉड के मद्देनजर, सरकार और इंटरनेट कंपनियां इन मुद्दों से निपटने के लिए ठोस कदम उठा रही हैं।
इस लेख में, हम बताएंगे कि किस प्रकार ऐसे आपत्तिजनक कंटेंट को हटाया जा सकता है और इसके लिए क्या कानूनी प्रविधान हैं।
साइबर ठगी और आपत्तिजनक तस्वीरों का बढ़ता खतरा
डीपफेक और छेड़छाड़ की गई तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही हैं, जो किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकती हैं। अक्सर इन तस्वीरों का उपयोग धोखाधड़ी के लिए किया जाता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के मानसिक और सामाजिक जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
इस प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिए कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सरकारी संस्थाएं सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। इंटरनेट पर छेड़छाड़ की गई तस्वीरों को हटाने के लिए कई कानूनी प्रावधान और तकनीकी उपाय मौजूद हैं।
ऑनलाइन शिकायत और कंटेंट हटाने के तरीके
आपत्तिजनक तस्वीरें हटाने के लिए “टेक डाउन” और “स्टॉप एनसीआईआई” का उपयोग
- यदि कोई आपत्तिजनक या न्यूड तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, तो इसे हटाने के लिए “टेक डाउन” या “स्टॉप एनसीआईआई” वेबसाइट का सहारा लिया जा सकता है। यह प्लेटफार्म मेटा से जुड़े होते हैं और इनकी मदद से तस्वीर को प्लेटफॉर्म से हटाया जा सकता है।
- संबंधित तस्वीर को अपलोड करने के बाद, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप) से स्कैन करके उन सभी तस्वीरों को हटा दिया जाता है, जो उन प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड की गई थीं।
छेड़छाड़ की तस्वीरों की पहचान और रिपोर्टिंग
- अगर ऐसी तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिनमें छेड़छाड़ की गई है या दो तस्वीरों को मिलाकर एक नई तस्वीर बनाई गई है, तो इसके लिए नोडल अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है। भारत में प्रत्येक प्लेटफार्म का एक “ग्रेविएंस अधिकारी” होता है।
- इस अधिकारी से मेल करके आप ऐसी तस्वीरों को हटाने के लिए शिकायत कर सकते हैं। इन अधिकारियों के ईमेल आइडी और पोस्टल एड्रेस पब्लिक डोमेन में उपलब्ध होते हैं। इसके बाद आपको एक केस नंबर दिया जाएगा और कार्रवाई की जानकारी मिलेगी।
गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर शिकायत
- यदि ऊपर बताए गए तरीके से समाधान नहीं मिलता, तो गृह मंत्रालय की वेबसाइट cybercrime.gov.in पर भी शिकायत की जा सकती है। यहां पर आपकी पहचान गुप्त रखी जा सकती है।
- आप अपनी पहचान बताए बिना भी शिकायत कर सकते हैं और यदि आपको आवश्यकता हो, तो पुलिस या साइबर क्राइम से संबंधित शिकायत की कापी भी मांगी जा सकती है।
आईटी एक्ट और कानूनी प्रावधान
सेक्शन 79(3बी) आईटी एक्ट
यदि कोई आपत्तिजनक सामग्री वायरल हो रही है, तो आईटी एक्ट के तहत सेक्शन 79(3बी) के तहत प्लेटफार्म पर उस कंटेंट को हटाने का आदेश दिया जा सकता है। इसके तहत साइबर विशेषज्ञ प्लेटफार्म को निर्देशित कर सकते हैं कि वह संबंधित सामग्री को तत्काल हटा दें।
सेक्शन 66 सी और 66 डी आईटी एक्ट
यदि किसी फोटो का दुरुपयोग किया जाता है, जैसे कि पहचान चोरी या छवि का गलत उपयोग किया जाता है, तो सेक्शन 66 सी और 66 डी के तहत कार्यवाही की जाती है। इन धाराओं के अंतर्गत साइबर ठगी और धोखाधड़ी के मामलों में आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ की राय
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ अंशुल सक्सेना के अनुसार आजकल कई संगठन मेटा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि इस प्रकार की आपत्तिजनक तस्वीरों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स से हटाया जा सके। इसके अलावा, किसी तस्वीर को लेकर शिकायत करने पर साइबर सुरक्षा टीम इन तस्वीरों को एक फोटो आइडी की मदद से तेजी से हटाती है। इस तरह के प्लेटफॉर्म्स ने जाँच प्रक्रिया को तेज कर दिया है, जिससे लोगों को राहत मिलती है।
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