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अधिक मंडी शुल्क, महंगी बिजली और नीतियों का नतीज: मप्र में नहीं गल पा रही दाल; 10 साल में ही बंद हों गई 250 मिलें – Indore News

इंदौर पिछले 10 साल में मप्र की 250 से अधिक दाल मिलें बंद हो गई हैं। अधिक मंडी शुल्क, मंहगी बिजली और सरकारी नीतियों की वजह से प्रदेश में 900 के बजाय 650 दाल मिलें ही बची हैं। इंदौर में कुछ वर्षों में 110 दाल मिलों पर ताले डल गए। फिलहाल शहर में करीब 14

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दाहोद और छत्तीसगढ़ के भाटापारा शिफ्ट हो रहीं यूनिट

मंडी शुल्क के साथ महंगी बिजली की वजह से गुजरात-महाराष्ट्र की तुलना में मप्र की दालों की कीमत प्रति किलो 2 से 3 रुपए अधिक होती है। मुकेश असावा बताते हैं, प्रदेश में दाल मिलों में औसत 8 से 9 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलती है, जबकि महाराष्ट्र-गुजरात में 6 से 7 रुपए यूनिट बिजली है। मप्र में 1.20% मंडी शुल्क लिया जा रहा है, जबकि महाराष्ट्र में 0.80% व गुजरात में मात्र 0.50% मंडी शुल्क लगता है। छत्तीसगढ़ में कोई शुल्क ही नहीं है। हालांकि मप्र में डेढ़ साल पहले तक 1.70 % मंडी शुल्क था, जिसमें कुछ कटौती हुई है।

मिल संचालकों का कहना है, अधिक मंडी शुल्क के कारण मप्र में दालों की लागत बढ़ रही है और बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो रहा है। प्रदेश में दाल मिलें बंद होने की यही सबसे बड़ी वजह है।

मप्र में अन्य प्रदेशों से आने वाले दलहन ( तुअर, मूंग, मसूर, मटर, राजमा, उड़द आदि) पर भी मंडी शुल्क चुकाना पड़ता है। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और गुजरात में इस पर कोई शुल्क नहीं है। उधर, नीतियों के कारण इंदौर से दाल मिल दाहोद शिफ्ट हो रही हैं। कटनी में 85 में से 25 मिल ही बची है। वहां से मिलें छत्तीसगढ़ जा रही हैं।

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