गूगल के इस बिलिंग सिस्टम के खिलाफ अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) और इसके सदस्यों ने शिकायतें दाखिल की हैं। CCI ने गूगल को थर्ड पार्टी पेमेंट विकल्पों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट से गुहार लगाने से पहले याचिकाकर्ताओं ने CCI में कई शिकायतें दाखिल की थी लेकिन उन पर सुनवाई नहीं हुई थी।
देश में 60 करोड़ स्मार्टफोन्स में से लगभग 97 प्रतिशत एंड्रॉयड पर चलते हैं। यूरोप में लगभग 55 करोड़ स्मार्टफोन्स के लिए यह आंकड़ा लगभग 75 प्रतिशत का है। CCI ने गूगल को चलाने वाली अमेरिकी कंपनी Alphabet पर एंड्रॉयड के मार्केट में अपनी दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल करने के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर में लगभग 16.1 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया था। CCI ने कंपनी को देश में अपने एंड्रॉयड सिस्टम की मार्केटिंग के तरीके में बदलाव करने को भी कहा था। CCI ने कंपनी को निर्देश दिया था कि उसे ऐप डिवेलपर्स पर ऐसी कोई शर्त नहीं लगानी चाहिए जो अनुचित या भेदभाव वाली है।
शार्क टैंक इंडिया के जज और कारोबारी Anupam Mittal ने गूगल के बिलिंग सिस्टम को “गैर कानूनी” करार देते हुए इसे चलाने वाली Alphabet को ‘डिजिटल ईस्ट इंडिया कंपनी’ बताया है। उन्होंने कहा कि गूगल ने देश के कानूनों का उल्लंघन किया है। इसके साथ ही मित्तल ने उम्मीद जताई कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से ध्यान दिया जाएगा। गूगल पर इससे पहले भी कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ( CCI) के ऑर्डर का उल्लंघन करने और वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम को चुनने वाले ऐप डिवेलपर्स से 11-26 प्रतिशत तक कमीशन वसूलने का आरोप लगा था। हाल ही में गूगल ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया था। गूगल के वैकल्पिक बिलिंग सिस्टम को चुनने पर भी सर्विस फीस चुकानी होगी। हालांकि, यह स्टैंडर्ड फीस की तुलना में चार प्रतिशत कम होगी।
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2023-04-25 17:05:27
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