इजराइल से सेना में 4 गुना का अंतर
ईरान के पास इजराइल से 4 गुना बड़ी सेना है। उसके पास 6,10,000 से ज्यादा सैनिक और Revolutionary Guard जैसी ताकतवर यूनिट है लेकिन उसका जंगी सामान पुराना और मिसमैच हो चुका है। इनमें कुछ अमेरिकी, कुछ रूसी और कुछ स्वदेश में निर्मित हैं। वायुसेना में महज 350 विमान, जिनमें से अधिकांश दशकों पुराने हैं। ड्रोन टेक्नोलॉजी जरूर उभरी, लेकिन वह भी रक्षात्मक हमलों में कारगर नहीं रही। ईरान की ताकत का बड़ा हिस्सा उसके ‘प्रॉक्सी नेटवर्क’ में था, हिज्बुल्ला से लेकर यमन के हूथी तक। लेकिन हालिया महीनों में इजराइल और अमेरिका ने इसी नेटवर्क पर सीधा हमला किया, जिससे उसकी रीढ़ टूट गई।
इजराइली सेना का दुनिया मानती है लोहा
इजराइल के पास 1,70,000 सक्रिय सैनिक और 4,00,000 रिजर्व फोर्स मौजूद है। उसकी खासियत टेक्नोलॉजिकल बढ़त है, चाहे वो राफेल से मिले F-35 हों या खुद का आइरन डोम सिस्टम। इजराइल हर हमले का जवाब रणनीति से और हर मिसाइल का तोड़ तकनीक से देता है। 12 दिन चली इस लड़ाई में इजराइल का मल्टी-टियर मिसाइल डिफेंस सिस्टम-Iron Dome, David’s Sling, Arrow Systems ईरान की सैकड़ों मिसाइलों को हवा में ही तबाह कर दे रहा था।
क्यों ट्रंप के आगे झुका ईरान?
दरअसल 2024 में अमेरिका और इजराइल ने मिलकर उसके प्रॉक्सी जाल को तोड़ दिया था। दोनों ने मिलकर साइबर फोर्स और मिसाइल यूनिट को टारगेटेड स्ट्राइक से कमजोर किया। इस बीच, ईरानी जनता में असंतोष और महंगाई ने घरेलू मोर्चे पर भी सरकार को डगमगाया। इजराइल की स्मार्ट स्ट्रैटेजी ने ईरान को उलझा दिया। वह जवाब देने की हिम्मत तो रखता है पर मौका नहीं निकाल पाया। इजराइली सेना और अमेरिका के दबाव ने ईरान को इस मोर्चे पर झुकने को मजबूर कर दिया।
मिडिल ईस्ट में सबसे बड़ा क्यों कहा जाता है ईरान?
ईरान को लंबे समय से मिडिल ईस्ट की सबसे बड़ी ताकतों में से एक माना जाता रहा है। वह सिर्फ सेना की वजह से नहीं बल्कि उसके भौगोलिक आकार, जनसंख्या और रणनीतिक स्थिति के कारण। Global Fire Index के आंकड़ों की मानें तो :
1- ईरान की आबादी लगभग 88 करोड़ है, जो पूरे मिडिल ईस्ट में सबसे ज्यादा है।
2- इसका क्षेत्रफल 16 लाख वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है, जो सऊदी अरब के बराबर और इजराइल से 70 गुना बड़ा है।
3- ईरान के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार और दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस भंडार है।
4- ईरान की अर्थव्यवस्था की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक, 2023 में ईरान की GDP करीब 388 अरब डॉलर थी।
ईरानी इकोनॉमी भले ही सऊदी अरब से कम है, लेकिन मिडिल ईस्ट के अधिकतर देशों से बड़ी है। इन्हीं वजहों से ईरान को मिडिल ईस्ट का पावरहाउस या शेर कहा जाता रहा है।
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