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टॉफी-बिस्किट फैक्ट्री में खराब मैदे का उपयोग, मालिक नहीं कर्मचारी बना आरोपी, पढ़ें डिटेल

टॉफी-बिस्किट फैक्ट्री में खराब मैदे का उपयोग, मालिक नहीं कर्मचारी बना आरोपी, पढ़ें डिटेल

कार्रवाई में खाद्य प्रशासन विभाग ने फैक्ट्री के कर्मचारी को फैक्ट्री का नॉमिनी बताते हुए आरोपित बना दिया। इसके बाद आरोप लगे कि कर्मचारी को बलि का बकरा बनाकर असल कर्ताधर्ता बच सकते हैं। हालांकि, खाद्य विभाग ने कहा कि कागज पर दर्ज नामों के कारण कर्मचारी भी कार्रवाई के दायरे में आया है।

By Lokesh Solanki

Publish Date: Wed, 18 Jun 2025 10:02:47 PM (IST)

Updated Date: Wed, 18 Jun 2025 10:02:47 PM (IST)

टॉफी-बिस्किट फैक्ट्री में खराब मैदे का उपयोग

HighLights

  1. फूड सेफ्टी विभाग ने दर्ज किया केेस।
  2. विभाग ने मामला कोर्ट को सौंपा।
  3. खाद्य प्रशासन ने रिपोर्ट शासन को भोपाल भेजी।

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। चॉकलेट-बिस्किट बनाने में उपयोग किया जा रहे मैदे के खराब होने के बाद फैक्ट्री के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर दिया गया है। नेमावर रोड स्थित तिरुपति कनफेक्शर्स के खिलाफ शासन ने प्रकरण दर्ज कर मामला कोर्ट में भेजा।

फैक्ट्री के नॉमिनी को आरोपित बनाया

कार्रवाई में खाद्य प्रशासन विभाग ने फैक्ट्री के कर्मचारी को फैक्ट्री का नॉमिनी बताते हुए आरोपित बना दिया। इसके बाद आरोप लगे कि कर्मचारी को बलि का बकरा बनाकर असल कर्ताधर्ता बच सकते हैं। हालांकि, खाद्य विभाग ने कहा कि कागज पर दर्ज नामों के कारण कर्मचारी भी कार्रवाई के दायरे में आया है।

खाद्य विभाग की टीमों ने लिया था सैंपल

कुछ महीनों पहले नेमावर रोड की तिरुपति कन्फेक्शनर्स नामक फैक्ट्री से खाद्य विभाग की टीमों ने सैंपल लिए थे। शासन की लैब में जांच में फैक्ट्री में बच्चों की टॉफी-बिस्किट बनाने में उपयोग हो रहे मैदे को सेहत के लिए असुरक्षित माना। इस पर फैक्ट्री संंचालक ने जांच रिपोर्ट को चुनौती दे दी। इस पर दोबारा सैंपल जांच के लिए पुणे स्थित लैबोरेटरी में भेजे गए। वहां से भी जांच रिपोर्ट में मैदे को असुरक्षित करार दिया गया।

कौन-कौन बना आरोपी?

स्थानीय खाद्य प्रशासन ने रिपोर्ट शासन को भोपाल भेजी। भोपाल से निर्देश दिए गए कि मिलावट और असुरक्षित खाद्य वस्तुओं के उपयोग के चलते फैक्ट्री के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। इसके बाद विभाग ने खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम में प्रकरण दर्ज कर इस महीने कोर्ट में भी पेश कर दिया। दर्ज प्रकरण में फर्म तिरुपति कन्फेक्शनर्स के साथ उसके संचालक नरेश गंगवानी और लल्लन नामक व्यक्ति को आरोपित बनाया गया है।

लल्लन फैक्ट्री में नॉमिनी

सरकारी रिकॉर्ड में बताया जा रहा है कि लल्लन फैक्ट्री में नॉमिनी है। मालिक की गैरमौजूदगी में ये ही व्यक्ति जिम्मेदार माना जाएगा। हालांकि, लल्लन राजभर नामक व्यक्ति असल में इस कंपनी का सिर्फ लैबर सुपरवाइजर है। नईदुनिया से बात करते हुए लल्लन ने कहा कि मैं तो डेढ़ महीने से अपने गांव में हूं। फैक्ट्री में मेरा काम सिर्फ लैबर सुपरवाइजर का है। मैं श्रमिकों के काम का हिसाब रखता हूंं मुझे नहीं पता कि क्यों मुझे फैक्ट्री का नॉमिनी बता दिया गया।

मालिक बोले, ‘नहीं बताना’

मामले में फैक्ट्री संचालक नरेश गंगवानी से नईदुनिया ने पूछा कि खाद्य सुरक्षा का उल्लंघन करने और खराब पदार्थ का इस्तेमाल करने में लल्लन नामक व्यक्ति की क्या भूमिका है। साथ ही फैक्ट्री में इसका क्या काम था। इस पर गंगवानी ने कुछ भी जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि लल्लन के बारे में उनसे पूछिए जिन्होंने खबर दी है।

‘भोपाल से मिले निर्देश पर हमने खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम में केस दर्ज करवा दिया है। प्रकरण कोर्ट में भेजा गया है। दस्तावेजों में लल्लन को नामिनी बताया गया है। इसका अर्थ है संचालक की गैरमौजूदगी में वह जवाबदार रहेगा। हालांकि, हमने मुख्य आरोपित फैक्ट्री संचालक को ही माना है। साथ में फर्म का नाम भी आरोपित की सूची में जोड़ा गया है।’

मनीष स्वामी, मुख्य खाद्य निरीक्षक

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