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अमेरिका अवैध अप्रवासियों को ग्वांतनामो जेल भेजेगा: यह दुनिया की सबसे खतरनाक जेल; राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने पहला बिल साइन किया

वॉशिंगटन3 मिनट पहले

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इस एक्ट का नाम 22 साल की नर्सिंग स्टूडेंट रिले के नाम पर रखा गया है। पिछले साल  वेनेजुएला के एक नागरिक ने उसकी हत्या कर दी थी। - Dainik Bhaskar

इस एक्ट का नाम 22 साल की नर्सिंग स्टूडेंट रिले के नाम पर रखा गया है। पिछले साल वेनेजुएला के एक नागरिक ने उसकी हत्या कर दी थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को अपने दूसरे कार्यकाल के पहले कानून लैकेन रिले एक्ट पर साइन किए। यह कानून फेडरल अधिकारियों को उन अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट करने का अधिकार देता है, जो किसी क्रिमिनल एक्टिविटी में शामिल हैं।

ट्रम्प ने कहा कि उनकी सरकार अपराधी अवैध अप्रवासियों को क्यूबा के पास ग्वांतानामो-बे जेल भेजने का प्लान बना रही है। यहां 30 हजार बेड तैयार करने के आदेश दिए गए हैं। इस जेल को दुनिया की सबसे खतरनाक जेल माना जाता है। यहां से अमानवीय यातनाओं की खबरें सामने आती रही हैं।

बिल पास होने पर व्हाइट हाउस ने कहा-

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यह एक ऐतिहासिक कानून है, जिसे हम आज लागू कर रहे हैं। यह निर्दोष अमेरिकियों की जान बचाएगा।

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तस्वीरों में ग्वांतानामो-बे जेल…

क्यूबा के US नेवल बेस पर मौजूद ग्वांतानामो-बे दुनिया की सबसे विवादित और बदनाम जेल है।

क्यूबा के US नेवल बेस पर मौजूद ग्वांतानामो-बे दुनिया की सबसे विवादित और बदनाम जेल है।

9/11 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमले के संदिग्ध आतंकियों को इसी जेल में बंद किया गया था।

9/11 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमले के संदिग्ध आतंकियों को इसी जेल में बंद किया गया था।

यह जेल ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन को लेकर बदनाम।ओबामा ने 2008 में इसे बंद करने की बात कही थी।

यह जेल ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन को लेकर बदनाम।ओबामा ने 2008 में इसे बंद करने की बात कही थी।

ग्वांतानामो बे का इलाका 1903 से अमेरिका के पास। क्यूबा इसे अवैध कब्जा मानता है।

ग्वांतानामो बे का इलाका 1903 से अमेरिका के पास। क्यूबा इसे अवैध कब्जा मानता है।

22 साल की स्टूडेंट के नाम पर रखा गया एक्ट का नाम

इस एक्ट नाम जॉर्जिया के 22 साल की नर्सिंग स्टूडेंट रिले के नाम पर रखा गया है। पिछले साल वेनेजुएला के एक नागरिक ने उसकी हत्या कर दी थी। ट्रम्प ने जिस समय एक्ट पर साइन किया, तब रिले के माता-पिता और बहन भी वहां मौजूद थीं।

इस दौरान ट्रम्प ने कहा-

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मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि आज जो कुछ हो रहा है वह आपकी बेटी को श्रद्धांजलि है। यह बहुत दुखद है कि हमें ऐसा करना पड़ रहा है।

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ट्रम्प ने एक बार फिर अवैध अप्रवासियों को रोकने का वादा किया। उन्होंने कहा कि कुछ अवैध अप्रवासी तो ऐसे हैं जो डिपोर्ट करने के बाद शायद उनके देश में नहीं रहेंगे। हम नहीं चाहते हैं कि वे वापस आएं, इसलिए हम उन्हें ग्वांतानामो भेज देंगे। हमारे पास ग्वांतानामो में 30,000 बेड हैं, जहां सबसे खतरनाक विदेशी अपराधियों को रखा जा सकता है।

लैकेन रिले की 22 फरवरी 2024 को वेनेजुएला के एक अवैध अप्रवासी ने हत्या कर दी थी। वह कॉलेज कैंपस में जॉगिंग कर रही थी।

लैकेन रिले की 22 फरवरी 2024 को वेनेजुएला के एक अवैध अप्रवासी ने हत्या कर दी थी। वह कॉलेज कैंपस में जॉगिंग कर रही थी।

अवैध अप्रवासियों के खिलाफ ट्रम्प ने जारी किया आदेश

ट्रम्प ने 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद अवैध अप्रवासियों की एंट्री बैन करने, उन्हें डिपोर्ट करने और जन्मजात नागरिकता (बर्थराइट सिटीजनशिप) को खत्म करने के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया है।

प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक अमेरिका में दुनिया के सबसे ज्यादा अप्रवासी हैं। दुनिया के कुल 20% अप्रवासी अमेरिका में ही रहते हैं। 2023 तक यहां रहने वाले अप्रवासियों की कुल संख्या 4.78 करोड़ थी। ट्रम्प का मानना है कि दूसरे देशों से लोग अवैध तरीके से अमेरिका में घुसकर अपराध करते हैं।

18 हजार भारतीय भी अवैध अप्रवासियों की लिस्ट में अमेरिका में पिछले महीने अवैध अप्रवासियों से डील करने वाली सरकारी संस्था (ICE) ने करीब 15 लाख लोगों की एक सूची बनाई थी, जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। 18 हजार भारतीय इसी सूची का हिस्सा हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार वहां अवैध रूप से रह रहे अपने सभी नागरिकों की पहचान करने और उन्हें वापस लाने के लिए ट्रम्प प्रशासन के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका में अवैध अप्रवासियों के रहने के मामले में भारत का स्थान बहुत मामूली है। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा डेटा के मुताबिक साल 2024 में अवैध अप्रवासियों में सिर्फ 3% भारतीय नागरिक थे। मेक्सिको, वेनेजुएला और ग्वाटेमाला जैसे लैटिन अमेरिकी देशों की हिस्सेदारी इसमें सबसे ज्यादा है।

यहूदी विरोधी भावना से निपटने के लिए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर

ट्रम्प ने बुधवार को यहूदी विरोधी भावना से निपटने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए। इस आदेश में फेडरल एजेंसियों को यहूदी विरोधी नागरिकों और अधिकारियों की पहचान करने के लिए कहा गया है। खासतौर पर विदेशी प्रवासी जो फिलिस्तीन के समर्थन में कानून तोड़ते पाए गए थे।

राष्ट्रपति के आदेश के मुताबिक फेडरल एजेंसियों को 60 दिनों के भीतर व्हाइट हाउस को सिफारिशें देनी होंगी। इसने अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट से कॉलेज कैंपस में होने वाली घटनाओं समेत हमास के समर्थक पोस्टर लहराने और डराने-धमकाने की घटनाओं की भी जांच करने को कहा गया है।

आदेश में कहा गया है कि यहूदी छात्रों को लगातार भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें कैंपस के अंदर, लाइब्रेरी और क्लास में परेशान किया जा रहा है। अब हमारी पॉलिसी होगी कि यहूदी विरोधी भावना का सख्ती से मुकाबला करें।

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