मध्य प्रदेश सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, चीता प्रोजेक्ट के तहत अब चीतों को चरणबद्ध तरीके से गांधी सागर अभयारण्य में ट्रांसफर किया जाएगा। यह अभयारण्य राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है, इसलिए मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक सहमति बन गई है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Sat, 19 Apr 2025 11:08:17 AM (IST)
Updated Date: Sat, 19 Apr 2025 11:08:17 AM (IST)
HighLights
- 112 करोड़ से अधिक खर्च हुए अब तक चीता प्रोजेक्ट पर
- इसमें से 67 प्रतिशत राशि मध्य प्रदेश में खर्च की गई है
- चीता मित्रों को प्रशिक्षित करने का काम भी तेजी से जारी
ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत सरकार चीता प्रोजेक्ट का विस्तार करने जा रही है। ताजा खबर यह है कि अब दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना से दो चरणों में आठ चीते भारत लाए जाएंगे। पहले चरण में चार चीते मई में आएंगे, जिन्हें मध्य प्रदेश में मंदसौर की गांधी सागर सेंचुरी में रखा जाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह जानकारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अधिकारियों ने दी। इस बारे में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की बैठक हुई, जिसमें चीता परियोजना की समीक्षा की गई।

चीता प्रोजेक्ट पर अब तक खर्च हो चुके 112 करोड़
भारत और केन्या के बीच भी अनुबंध पर सहमति बनाई जा रही है। देश में चीता प्रोजेक्ट पर अब तक 112 करोड़ रुपये से अधिक राशि व्यय की जा चुकी है। प्रोजेक्ट चीता के तहत ही अब गांधी सागर अभयारण्य में भी चीते चरणबद्ध रूप से विस्थापित किए जाएंगे।
भूपेंद्र यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में चल रहे वन्य प्राणियों की पुनर्वास परियोजनाओं की देखरेख के लिए वन, पर्यटन, पशु चिकित्सा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जनजातीय कार्य एवं परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का एक टास्क फोर्स बनाया जाए। श्योपुर के 80 गांवों के 400 चीता मित्रों को प्रशिक्षित करने का अनुबंध कर सकते हैं।
चीतों के कदम पड़ते ही बदल जाएगी गांधीसागर की रंगत
इस बीच मंदसौर से खबर है कि गांधीसागर अभयारण्य को भारत में चीता पुनर्स्थापन योजना के तहत चीतों का दूसरा घर बनने में अब महज एक दिन शेष है। कूनो नेशनल पार्क से दो नर चीते यहां छोड़े जा रहे हैं।
चीतों के यहां आने के बाद निश्चित ही गांधीसागर व आस-पास के क्षेत्र की रंगत बदल जाएगी। यहां पर्यटकों की आमद भी बढ़ेगी और निश्चित ही गांधीसागर, रामपुरा, भानपुरा की अर्थव्यवस्था भी बदलेगी।
वहीं अभयारण्य के लिहाज से देखे तो यहां की जैव विविधता भी समृद्ध होगी। चीते के आने से इसमें भी सितारे जड़ जाएंगे। गांधीसागर अभयारण्य में अभी तो चीते बाड़ों में ही रखे जाएंगे। कुछ माह बाद इन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। इसके बाद गांधीसागर व आस-पास के नगरीय क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति में भी परिवर्तन आएगा।
कूनों से दो नर चीते लाए जा रहे हैं। 20 अप्रैल को मुख्यमंत्री बाड़े में इन्हें छोड़ेंगे। 64 वर्ग किमी में पूरे बाड़े बने हैं। अभी खेमला क्षेत्र में 15.4 वर्ग किमी में बने बाड़े में चीतों को छोड़ेंगे। इस क्षेत्र में चीतों के भोजन के लिए इस क्षेत्र में 150 चीतल, 80 चिंकारा, 50 से अधिक नीलगाय व अन्य जानवर है। चीतों की देखरेख के लिए कैमरे लगाए गए है। मॉनिटरिंग टीम इसकी ट्रेकिंग करेगी। अस्पताल भवन बनाया है। मेडिकल टीम भी वहीं रहेगी।–संजय रायखेरे, डीएफओ, मंदसौर
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