Elon Musk की SpaceX ने मंगलवार को अपने स्पेसशिप की छठवीं टेस्ट फ्लाइट में एक केला भी भेजा था। फ्लाइट में इस बनावटी केले को एक सेफ जगह पर रखा गया था। दरअसल कोई भी स्पेसक्राफ्ट जब पृथ्वी की कक्षा से निकलकर अंतरिक्ष में दाखिल होता है तो वहां गुरुत्वाकर्षण, या ग्रेविटी जीरो हो जाती है। स्पेसक्राफ्ट पर नजर रख रहे क्रू के लिए यह आर्टीफिशियल केला एक संकेतक बना। जैसे ही स्टारशिप माइक्रोग्रेविटी में पहुंचा तो यह ‘फेक केला’ हवा में तैरने लगा। टीम को पता लग गया कि अब वहां पर जीरो ग्रेविटी है। यानी वैज्ञानिकों को भौतिक प्रमाण मिल जाता है कि अब स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में पहुंच चुका है।
कार्गो होल्ड में इस केले को रखा गया था। कंपनी ने एक कार्गो बॉक्स भी इसके साथ भेजा था। जीरो ग्रेविटी का पता लगाने के लिए यह एक आसान तरीका है जो वैज्ञानिक अपनाते हैं। लेकिन केला पहली बार इस काम के लिए इस्तेमाल किया गया है। स्पेसएक्स का मकसद इसके पीछे कुछ और भी है। दरअसल कंपनी ने अमेरिकी संघीय विमानन प्रशासन (FAA) की नियामक प्रक्रिया को भी ध्यान में रखते हुए इसका इस्तेमाल किया ताकि भविष्य में कंपनी को किसी तरह की अड़चन का सामना न करना पड़े। स्पेसएक्स ने एक तरह से FAA को दिखाने की कोशिश भी की है कि स्पेस में कार्गो भी भेजा जा सकता है। Space.com के मुताबिक, कंपनी ने कहा कि पहली बार उसने फिजिकल पेलोड अंतरिक्ष में भेजा है।
SpaceX ने यह बिल्कुल नया एक्सपेरिमेंट किया है जो भविष्य में उसकी उड़ानों को FAA के संदर्भ में आसान बनाने में मददगार साबित होगा। कंपनी को अपने स्पेस प्रोजेक्ट्स में देरी का सामना न करना पड़े इसलिए यह कदम उठाया गया लगता है। आने वाले समय में कंपनी और भी ऐसे प्रयोग कर सकती है। जल्द ही कंपनी कार्गो परीक्षण की शुरुआत करने वाली है जिसके लिए इस केले ने एक भूमिका पहले ही तैयार कर दी है। हालांकि इंटरनेट जगत में स्पेसएक्स के इस एक्सपेरिमेंट पर कई तरह के मीम्स भी देखने को मिल रहे हैं।
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2024-11-21 06:20:51
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