सैटेलाइट तस्वीरों में 2.7 एकड़ के राम मंदिर स्थल को देखा जा सकता है। खास बात यह है कि तस्वीरों को पिछले साल 16 दिसंबर को कैप्चर किया गया था। उसके बाद से घने कोहरे और धुंध के कारण राम मंदिर क्षेत्र का क्लीयर व्यू नहीं मिल पाया है।
सैटेलाइट तस्वीरों में दशरथ महल और सरयू नदी दिखाई देती है। अयोध्या रेलवे स्टेशन भी सैटेलाइट इमेज में नजर आता है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा वक्त में भारत के 50 से ज्यादा सैटेलाइट स्पेस में हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इस तस्वीर को हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा प्रोसेस किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के निर्माण के कुछ चरणों में भी इसरो की टेक्नॉलजीज को इस्तेमाल किया है। प्रोजेक्ट की बड़ी चुनौती भगवान राम की मूर्ति लगाने के लिए सटीक लोकेशन की पहचान करना था। राम मंदिर निर्माण से जुड़ा ट्रस्ट चाहता था कि मूर्ति को 3 फीट X 6 फीट की जगह पर रखा जाए, जहां माना जाता है कि भगवान राम का जन्म हुआ था।
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक शर्मा राम मंदिर प्रोजेक्ट से करीब से जुड़े हैं। उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, 40 फीट मलबे ने उस स्थान को ढक दिया, जहां माना जाता है कि भगवान राम का जन्म हुआ था। इस मलबे को हटाना पड़ा और स्थान को सुरक्षित करना पड़ा ताकि नई मूर्ति ठीक उसी स्थान पर हो।
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2024-01-22 07:42:08
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